गुरुवार, नवंबर 17, 2016

हम सोच रहे हैं क्यूँकि हम तकलीफ में नहीं..



साहेब के हाथ बहुत कड़क और मजबूत हैं..
एक बार मिला लो तो कई दिनों तक दुखते हैं..

ऐसे ही शिव सेना के बारे में सोचकर ख्याल आया...अब मिलाया है तो दुखना भी झेलो..
वैसे ही नई नीति को देख एक ख्याल और भी आया..

क्यूँ न अपनी ही बीबी से एक बार और शादी कर ली जाये घर में ही सादे समोरह में..और बैंक से २,५०,००० रुपये निकाल लायें..वरना तो कोई और रास्ता भी नहीं दिखता है ये ५० दिन काटने का..स्याही लगे हाथों ने इतनी तो औकात बनवा ही दी है कि एक सादा सा शादी का कार्ड छपवा लिया जाये...

एल सी डी स्क्रीन वाला कार्ड तो उन राजनेताओं को ही मुबारक हो जो बेशर्मी से ऐसे विपरीत वक्त में, ५०० करोड़ की शादी की नुमाईश लगा कर बैठे हैं और उनके साथी धन्ना सेठ उन्हें नवैद में लिफाफानशीं असली २००० रुपये की गड्डियाँ भेंट कर रहे हैं.., जब देश की ९८% जनता बैंको की कतारों में ४५०० रुपये बदलवाने के लिए कतारबद्ध, अपने ही मेहनत से कमाये धन को सफेद घोषित करने के लिए अपनी ऊँगली पर काला स्याही का धब्बा लगवाने को मजबूर है और हमारे आका कह रहे हैं कि कल से  इस सीमा को घटा कर ४५०० से २००० कर दिया गया है क्यूँकि इसका जमकर दुरुपयोग हो रहा है..किसने दुरुपयोग किया है महोदय इसका.. जरा इसकी जानकारी भी दे दी जाये तो बेहतर वरना ५०० करोड़ लाईन में लगकर तो नहीं ही न निकाले गये होंगे...

कल को यूँ न घोषणा कर दी जाये की रुपये २००० की जगह अगर रुपये १०००० निकालने हों तो ऊँगली की जगह चेहरे पर काली स्याही पुतवा कर ले सकते हैं..यह भी आमजन की सुविधा स्वरुप ही घोषित करियेगा मुस्कराते हुए...माननीय..

बस, यूँ ही सोच रहे हैं हम...और करें भी तो क्या करें सोचने के सिवाय??

आप  क्या सोच रहे हैं??

ऊपर की अपनी ही तस्वीर को देखकर फिर सोचा कि हम जैसों का विदेश में बैठकर सोचना वैसा ही तो है जैसा कि पाँच सितारा होटल के वातनुकुलित कमरे में बैठकर देश की गरीबी रेखा के नीचे रह रही आबादी के लिये नीतियाँ निर्धारित करना...और इत्मिनान से प्रेस काँफेंस में ऐसा कह देना कि..

इस घोषणा के बाद गरीब घर में आराम से चैन की नींद सोया है और अमीर कतार में खड़ा बिलबिला रहा है...


-समीर लाल ’समीर’          
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5 टिप्‍पणियां:

principal ने कहा…

क्यूँ न अपनी ही बीबी से एक बार और शादी कर ली जाये घर में ही सादे समोरह में..और बैंक से २,५०,००० रुपये निकाल लायें..वरना तो कोई और रास्ता भी नहीं दिखता है ये ५० दिन काटने का..स्याही लगे हाथों ने इतनी तो औकात बनवा ही दी है कि एक सादा सा शादी का कार्ड छपवा लिया जाये.

बेहतरीन आप हमारे जैसे देशवासियों की पीड़ा को इस शिद्दत से महसूस कर रहे हैं. अब उपरोक्त रास्ता ही बचा है पर वे क्या करें जिन्हें तीन तलााक और खुला से गुज़रना पड़े. डॉ.सुभाषभदौरिया

principal ने कहा…

क्यूँ न अपनी ही बीबी से एक बार और शादी कर ली जाये घर में ही सादे समाारोह में..और बैंक से २,५०,००० रुपये निकाल लायें..वरना तो कोई और रास्ता भी नहीं दिखता है ये ५० दिन काटने का..स्याही लगे हाथों ने इतनी तो औकात बनवा ही दी है कि एक सादा सा शादी का कार्ड छपवा लिया जाये...

पर तीन तलाकवालेे क्याकरें वहां तो खुला का प्रावधान भी है. आप विदेश में तकलीफ में न होकर भी अपने देश की तकलीीफों को शिद्दत से महसूस कर रहेे हैं दादा प्रणाम.डॉ.सुभाष भदौरिया गुजरात

Onkar ने कहा…

यह भी एक पहलू है

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बीबी से शादी क्या बात है :)

Jyoti Dehliwal ने कहा…

आप बहुत अच्छाछा लिखते है। नई नई कल्पनाओं के साथ। अपनी ही बीबी से शादी कर ली जाए। बढ़िया उपाय है।